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बुरा है सपनों का मर जाना...

  युवा भारत में … सबसे बुरा है, सपनों का मर जाना सरकार की ओर से देश में 66 दिनों की तालाबांदी ने कईयों के सपनों को तोड़ा है। युवा भारत में आमजन के लिए अवसरों का छीनना, करीब 20 करोड़ लोगों का बेरोजगार होना। सैलरी में कटौती। परिवार के मुखिया पर बच्चों को पढाने, पालने की जिम्मेदारी और उनके भविष्य को लेकर संजोए सपनों का टूटना … ऐसे में सवाल एक ही है क्या सरकार इसलिए बनती है कि वह सपनों को तोड़े या देश को खड़ा करने के साथ देश के हर अंतिम व्यक्ति को उंची उडान भरने के लिए बेहतर अवसर प्रदान कराए। यही सवाल उन बिजनेसमैन या कंपनियों से है जो लोगों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाते हैं। ऐसे संकट के क्षण में इन कंपनियों को कर्मचारियों को पूरी नहीं तो आधी-पौनी रोटी का भरोसा दिलाते हुए संस्थान को खड़ा करने के साथ कर्मचारियों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने चाहिएं। यही बेहतर प्रबंधन और प्रगतिशील कंपनी के सूचक हैं। सबसे बुरा है सपनों का टूटना : देश में लोगों की जॉब जाने से उनके सपने टूटेंगे तो देश वासियों में हताश आएगी। जिससे देश आर्थिक प्रगति की बजाए गर्त की ओर जाएगा। सरकार और
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सरकारें : अब... कोरोना के साथ जीना होगा

सरकारी तंत्र के भरोसे बैठे जनतंत्र को अब कोरोना के साथ जीना होगा : सरकार को टैक्स चाहिए इसलिए वर्क फ्रॉमहोम नहीं, कुछ वर्क करें ( … क्योंकि लॉकडाउन में करोड़ों बेरोजगार हुए हैं) देश में कोरोना की महामारी फैली है। सरकारी लॉकडाउन के 60 दिन पूरे हुए। मई खत्म होने में 6 दिन शेष हैं। सरकार की बात मानकर जो लोग घरों में बैठे हैं। बेशक वह संक्रमण से बचे हैं या नहीं ये उन्हें भी नहीं पता। क्योंकि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 60 दिनों में अभी कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा 30 लाख तक नहीं पहुंचा है। जनतंत्र में आक्रोश क्यों : ऐसे लोग जो सरकार चुनते हैं और वोट देते हैं। घर बनाते हैं, फैक्ट्रियां चलाते हैं, दफ्तरों में काम करते हैं और देश के निर्माण में चंद सिक्कों के लिए हर महीने की निश्चित तारीख को वेतन का इंतजार करते हैं। उन्हें इस लॉकडाउन में क्या मिला? पुलिस के डंडे, चिलचिलाती धूप में जलती धरती पर नंगे पांव परिवार के साथ राज्य से पलायन, सैलेरी में कटौती या फिर नौकरी गंवाना।   पैदल घर जाने वालों पर डंडा वर्षा, उड़कर आने वालों पर पुष्प वर्षा :   आमजन में आक्रोश इस बात को लेकर भी है कि लॉकडाउन

लॉकडाउन का डिजिटल भारत

लॉकडाउन का डिजिटल भारत : देश में वर्चुअल पढ़ाई  और बढ़ती बेरोजगारी काफी दिन से सोचा समझा और अब लिख रहा हूं. मोदी सरकार आने के साथ ही डिजिटल इंडिया का नारा हमें मिला. इस पर काम भी शुरू हुआ. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बातें की जाने लगी. पढ़ाई में वर्चुअल क्लासेज की बातें की जाने लगी. अब लॉक डाउन आ गया है. जिसमें डिजिटल इंडिया वर्चुअल क्लासेज को ऑनलाइन क्लासेज के प्रारूप में बदलकर  मोबाइल से घर-घर तक, गूगल स्काइप, जूम क्लासेज , व्हाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से छात्रों के बीच पहुंचाया जा रहा है. जिसका श्रेय डिजिटल इंडिया को जाता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस डिजिटल इंडिया में जहां हमारा देश अभी भी नरेगा जैसी व्यवस्था पर चल रहा है, वहां कितने लोगों को इस वर्चुअल प्लेटफार्म पर रोजगार मिलेगा और कितने लोग इस तालाबंदी में बेरोजगार होंगे. सभी सरकारों की सभी योजनाओं को साधुवाद, सवाल फिर 1 युवाओं के लिए अवसर कहां है? कुछ सुझाव और समाधान मन में हैं:  1. सरकार आईटीआई में टेक्निकल शिक्षा देती है और आईआईटी में इंजीनियर बनाती है : इन दोनों के मेल से नए कारखाने और यूनिट लगाई जाएं तो देश के युवा

लालकिले से 70 वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी के भाषण की खास बातें

देश 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. पीएम मोदी ने लालकिले से तिरंगा फहराने के बाद देश को संबोधित करते हुए कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को पूरा करना चाहिए. इसके लिए हर आदमी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. अगर देश के पास समस्याएं हैं तो सामर्थ्य भी है. आजादी का पर्व देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का पर्व है. हम महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पंडित नेहरू और अनगिनत लोगों को याद करते हैं जिन्होंने स्वराज हासिल करने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी. पीएम ने अपने भाषण के दौरान पाकिस्तान पर भी निशाना साधा. उन्होंने PoK और बलूचिस्तान के लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं वहां के लोगों को धन्यवाद देता हूं कि ये लोग मेरी तारीफ करते हैं। यह मेरी नहीं पूरे देश की तारीफ है. पीएम मोदी के भाषण के मुख्य अंश- -स्वराज को सुराज में बदलने का संकल्प लें -सुराज की सीधा मतलब है देश के हर नागरिक के जीवन में बदलाव लाना -सुराज का मतलब हर सामान्य व्यक्ति के प्रति संवेदनशीलता -आशाओं की कोख से ही अपेक्षाएं जन्म लेती हैं -अगर उपलब्धियों के बारे में बोलूं तो हफ्तेभर लालकिले पर बोलना पड़ेगा -आज नीति की नह
मोटर व्हीकल एमेंडमेंट बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी -अगले हफ्ते संसद में होगा पेश -बिल में कई नए प्रावधान किए गए शामिल -हिट एंड रन मामले में मुआवजा राशि 25 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपए -थर्ड पार्टी इंश्योरेंश दावे और सेटरमेंट प्रक्रिया को बनाया बिल का हिस्सा -किशोर द्वारा सड़क हादसा होने पर अभिभावक या वाहन चालक पर मुकदमा चलाने का प्रावधान केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित मोटर व्हीकल एमेंडमेंट बिल 2016 को मंजूरी दे दी। बुधवार देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बिल को मौजूदा सत्र के दौरान ही अगले हफ्ते संसद में पेश करने का फैसला भी लिया गया। बिल में संशोधन के मुताबिक हिट एंड रन मामले में मुआवजे की राशि 25 हजार रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने का प्रावधान है। सड़क हादसे में मौत की मुआवजा राशि भी बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने को मंजूरी दी गई है। किशोर द्वारा सड़क हादसा किए जाने की स्थिति में उसके अभिभावक या वाहन मालिक पर मामला दर्ज किए जाएगा। एक अक्टूबर, 2018 से वाहनों के ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग को अनिवार्य करने का प्रावधान भी रखा गया है। बिल में गुड समारिटन दिशा-नि

साक्षरता अर्थ एवं योजनाएं !

साक्षरता अर्थ एवं योजनाएं ! (08 सितंबर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर विशेष) क्या हम सचमुच साक्षर हैं? क्या जातिवाद और धार्मिक मुद्दे हमारे लिए गौण हो चुके हैं, हमारे देश का शैक्षिक ढांचा एवं नीतियां कितनी कारगर साबित हुई, बिना ढांचागत विकास के विदेशी विश्वविद्यालयों के आगमन से कहीं उच्चशिक्षा में डिग्रियों की खरीद-फिरोख्त तो शुरू नहीं हो जाएगी? ऐसे ही तमाम सवालों के बीच... हम 08 सितंबर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाएंगे, भारत को आजाद हुए 63 साल हो गए, चीन व साउथ अफ्रीका ऐसे देश हैं जिन्हें भारत के बाद स्वतंत्रता मिली, किंतु उन्नति की गति में भारत से तेज क्यों? भारत में साक्षरता दर बढी किंतु उस अनुपात में जीवन की गुणवत्ता का विकास क्यों नहीं हुआ? मानवीय विकास सूचकांक के आंकडे बेशक स्वर्णिम नजर आते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि किसान यहां आत्महत्या करते हैं और जातिवाद व मंदिर-मस्जिद जैसे घार्मिक मुद्दों पर आज भी यहां चुनाव लडे और जीते जाते हैं। जहां एक ओर हम प्राथमिक शिक्षा को सुदृढ करने की बात कर रहे हैं, वहीं उच्च शिक्षा में विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रण देकर कहीं देश म