जय हिंद दोस्तों ... बस यूं ही चलते- चलते कुछ मन की भड़ास निकाल लेता हूँ, मस्तिष्क में उठते यूं ही विचारो को आपसे बाट लेता हूँ! चलो हाथ आगे बढ़ाएं , मिलकर एक आवाज़ उठायें ! करें एक सिंहनाद , जिससे काँपे काला समाज ( भ्रष्टाचारी , नेता , कालाबाजारी और युवा प्रतिभाओ को रोंदने वाले .)। बढ़ो युवा चलों युवा वक़्त तुम्हें पुकारता , तोड़ दो जंजीरें सब सुनहरा पल निहारता... संजीव कुमार गुप्ता