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लॉकडाउन का डिजिटल भारत

लॉकडाउन का डिजिटल भारत : देश में वर्चुअल पढ़ाई  और बढ़ती बेरोजगारी

काफी दिन से सोचा समझा और अब लिख रहा हूं. मोदी सरकार आने के साथ ही डिजिटल इंडिया का नारा हमें मिला. इस पर काम भी शुरू हुआ. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बातें की जाने लगी. पढ़ाई में वर्चुअल क्लासेज की बातें की जाने लगी. अब लॉक डाउन आ गया है. जिसमें डिजिटल इंडिया वर्चुअल क्लासेज को ऑनलाइन क्लासेज के प्रारूप में बदलकर  मोबाइल से घर-घर तक, गूगल स्काइप, जूम क्लासेज , व्हाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से छात्रों के बीच पहुंचाया जा रहा है. जिसका श्रेय डिजिटल इंडिया को जाता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस डिजिटल इंडिया में जहां हमारा देश अभी भी नरेगा जैसी व्यवस्था पर चल रहा है, वहां कितने लोगों को इस वर्चुअल प्लेटफार्म पर रोजगार मिलेगा और कितने लोग इस तालाबंदी में बेरोजगार होंगे. सभी सरकारों की सभी योजनाओं को साधुवाद, सवाल फिर 1 युवाओं के लिए अवसर कहां है?

कुछ सुझाव और समाधान मन में हैं: 

1. सरकार आईटीआई में टेक्निकल शिक्षा देती है और आईआईटी में इंजीनियर बनाती है : इन दोनों के मेल से नए कारखाने और यूनिट लगाई जाएं तो देश के युवाओं के लिए अवसरी अवसर बन सकते हैं.

 2. देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है:  विदेशों में आयात निर्यात के नए प्लेटफार्म दिए जाएं. अपने यहां अनाज के भंडारों का उतना ही भंडारण किया जाए जितना जरूरत है बाकी खाद्य पदार्थों के लिए नई और सुदृढ़ सप्लाई चेन बनाई जाए.. जिसमें युवाओं के लिए नए अवसर और जिला स्तर पर सरकारी मॉनिटरिंग.. इससे स्वदेशी भी बढ़ेगा और नया बाजार भी.
3. करदाता को स्वास्थ्य सुविधा : देश के विकास में अहम योगदान देने वाले करदाताओं के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकार उनके लिए भी कोई पेंशन योजना लाए, सरकारी अस्पतालों में करदाताओं को भुगतान किए जाने वाले टैक्स के हिसाब से श्रेणी बनाकर स्वास्थ्य सेवाओं का प्राथमिक स्तर पर लाभ दिया जाए. क्योंकि जिनके टैक्स भरने से सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को सैलरी मिलती है वहां टैक्सपेयर का कभी इलाज नहीं होता.

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